ओम् आंजनेयाय विद्मिहे वायुपुत्राय धीमहि |
तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात ||1||
ओम् रामदूताय विद्मिहे कपिराजाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||2||
ओम् अन्जनिसुताय विद्मिहे महाबलाय धीमहि |
तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||3||
विस्तार सहित समझाव:
हनुमान गायत्री मंत्र, भगवान हनुमान को समर्पित एक प्राचीन और पवित्र मंत्र है। इसका पाठ भगवान हनुमान के कृपांजलि और आशीर्वाद के लिए किया जाता है। यह मंत्र तीन भागों में बटा है, प्रत्येक भाग भगवान हनुमान के एक विशेष पहलू को स्मरण करता है।
- ओम् आंजनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि | तन्नो: हनुमान: प्रचोदयात ||1||
प्रथम भाग में, हम भगवान हनुमान को ‘आंजनेय’ (माँ अंजना के पुत्र) और ‘वायुपुत्र’ (वायु देवता के पुत्र) के रूप में समझते हैं। ‘आंजनेय’ भगवान हनुमान के माता का नाम है, जबकि ‘वायुपुत्र’ उन्हें वायु देवता के पुत्र के रूप में जाने जाने वाला है। मंत्र इस प्रकार से हनुमान जी के दिव्य रूप और बुद्धि को स्मरण करने का अनुरोध करता है।
- ओम् रामदूताय विद्महे कपिराजाय धीमहि | तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||2||
द्वितीय भाग में, हम हनुमान जी को ‘रामदूत’ (भगवान राम के दूत) और ‘कपिराज’ (कपिराज सुग्रीव) के रूप में स्मरण करते हैं। ‘मारुति’ शब्द हनुमान जी के लिए एक और नाम है, जो ‘मारुत’ यानी हवा से सम्बंधित है। मंत्र हनुमान जी को भगवान राम के प्रिय दूत और सुग्रीव के राजा के रूप में स्मरण करने के लिए कहता है।
- ओम् अन्जनिसुताय विद्महे महाबलाय धीमहि | तन्नो: मारुति: प्रचोदयात ||3||
तृतीय भाग में, हम भगवान हनुमान को ‘अंजनीसुत’ (माँ अंजना के पुत्र) और ‘महाबल’ (शक्तिशाली) के रूप में समझते हैं। भगवान हनुमान की अंजना देवी से पुत्री अनुसूया ने जन्म लिया था। मंत्र भगवान हनुमान के शक्तिशाली और दिव्य रूप को स्मरण करने के लिए है।
हनुमान गायत्री मंत्र को नियमित भक्ति भाव से जपने से कहते हैं कि भगवान हनुमान की कृपा, सुरक्षा और मार्गदर्शन मिलते हैं। इस मंत्र का नियमित जप से भक्त को शक्ति, साहस और ज्ञान प्राप्त होता है। यह हनुमान जी के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है, जिससे उनकी आराधना में सहायता मिलती है और जीवन के सभी कठिनाइयों को पार करने में समर्थ होते हैं।